STORYMIRROR

नम्रता चंद्रवंशी

Tragedy

4  

नम्रता चंद्रवंशी

Tragedy

मै नारी हूं

मै नारी हूं

1 min
258

खुद का जीवन कभी जिया नहीं,

दूसरों पर न्योछवर के दी ज़िन्दगी।

फिर भी ,मैं ही सबकी आभारी हूं,

मैं नारी हूं,


बेटी और पत्नी के बंधन में बंधी,

पर बंधन अपनों सी हो न सकी।

सबके ऊपर, सिर्फ भारी(बोझ) हूं,

मैं नारी हूं।


बचपन में न खेलाया खेल कोई,

बस सीख सिखाएं मुझको सबने।

केवल होठों पर, सबकी प्यारी हूं,

मैं नारी हूं।


हूं बगियां फूलों से भरी हुई,

फूल सबने तोड़ने लिए मुझसे,

मैं तो बस, सूखे फूलों की क्यारी हूं।

मैं नारी हूं।


डर बसा दिया सबने जेहन में,

डर कर जीना है नसीब मेरी।

इस वजह से, अक्सर मैं हारी हूं,

मैं नारी हूं।


हूं महान मैं देवी देवताओं में,

कैद हूं पर कई सीमाओं में।

यूं ही, जान मैं सब पे वारी हूं,

मैं नारी हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy