रंगों की लालसा
रंगों की लालसा
धीरे मारो प्यार पिचकारी
जियरा में लागे,
चूमे अंग अंग रंग तेरी,
चोली चुनरी भीगे।
जागे शिहरण घन घन,
मन तरसे परश को तेरे
आओ अंग लगालो मोहे
जीवन सफल हो मेरा
ये तन और मन तेरा प्यासा
नित प्रीत फुहार धार माँगे।
जादुई छूँअन को तेरे
तरसे अंग अंग मेरा
और अब ना तरसाओ
ना करो नाथ देरी
रंग डालो अंग अंग मेरी
तन मन प्राण प्रीत लागे।
मैं नैन नाथ तू ज्योति
मैं माला हूँ है तू मोती
ये पिंड मे प्राणों की धारा
करो संचार प्राण पति
मलो रंग गुलाल उमंगों का
तेरा आशीष आशेष माँगे।।
