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Short And Sweet Blog

Drama

1.9  

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रंग

रंग

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अपने ही अक्स से मिली मैं

जैसी मैं हूँ वैसी ही वो मिली मुझे।


कुछ देर बात की मैंने,

फिर लगा कि

ये तो मेरी ही परछाई है।


उससे बात करके ऐसा लगा कि

जैसे यही तो है

जिसका मुझे बरसों से इंतज़ार था।


मेरे भीतर मुझ में ही रहती थी वो,

थोड़ी नादान थोड़ी सुलझी हुई सी थी वो।


जो भगवान से माँगा

वह आज सफल हुआ है,

बेरंग सी ज़िन्दगी में रंग भर के गई है वो।


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