खुद के साथ खड़ी जो हूं ।
खुद के साथ खड़ी जो हूं ।
मेरी सोच मेरी ही तरह स्पष्ट है,
स्पष्ट है तभी तो खुद के लिए लिए हुए फैसलों का अब भी कोई गम नहीं ।
गम नहीं तभी तो कई बार मैं हारी भी मैं जीती भी, मैं बहुत कुछ उससे सीखी भी ।
सीखी तभी तो संभली भी , संभली तभी तो अच्छे बुरे की परख हुई ।
परख हुई तभी तो क्या नहीं से क्या है की तरफ बढ़ी मैं ।
आगे बढ़ी तभी तो छोटी - छोटी खुशियों में खुश भी हुई,
महंगे के पीछे कभी गई नहीं ।
कभी किसी के पीछे गई नहीं तभी तो आज अकेली हूं पर खुश हूं,
खुद के साथ खड़ी जो हूं ।
