मेरी कहानी इतनी भी सही नहीं थी।
मेरी कहानी इतनी भी सही नहीं थी।
मेरा जीवन बस कहने को खुली किताब था, नहीं तो खुद से ही एक गहरा राज था ।
राज था तभी तो किसी को पता नहीं था, मेरी ही पहेली में खुद से उलझा था ।
उलझने थी तभी किसी को पता नहीं था, या शायद लोग बताने लायक नहीं थे ।
लोगों में कमी थी या मुझमें झिझक थी, या शायद मेरी कहानी इतनी भी सही नहीं थी ।
