फिर से सीखते हैं।
फिर से सीखते हैं।
फिर से ट्रैक पर आते है, कुछ तो धांसू फिर से लिख कर जाते है ।
शब्दों की त्रुटि होगी, शब्दों की कमी होगी ।
पर कविता मेरी ही होगी, गलती कर के ही तो फिर से सीखेंगे ।
आज नहीं तो कल फिर से उभरेंगे, उभर कर ही तो फिर से निखरेंगे ।
ऐसे ही तो शब्दों को, जोड़ जोड़ कर फिर से पंक्तियाँ लिखेंगे ।
पंक्तियों से ही तो फिर भावार्थ निकलेंगे, और उसी कविता से कही तो थोड़ा हम भी लिखने का सीखेंगे।