कुछ कहना था।
कुछ कहना था।
बहुत कुछ कहना था , बहुत कुछ सुनना भी था ।
अल्फाजों की कमी थी , कही दूर पहुंचने की देरी थी ।
गिरता संभलता खुद को संभालता , मैं पहुंचा भी ।
पर शायद हालातों का रोना था , किस्मत को अब भी चमकना था ।
खुद को मजबूत कर , खुद की ही सवारी लेकर फिर एक सफर को तय करने निकल पड़ी ।
यह सफर अब किस गंतव्य पर जायेगा पता नही , पर जीवन का एक और अध्याय कुछ तो और रोचक और मजेदार सिखा कर जायेगा ।
अब नए हालात होगे , नया सफर होगा फिर से मेरा एक और नया इम्तिहान होगा ।