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Sunita Shukla

Action Inspirational

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Sunita Shukla

Action Inspirational

राष्ट्र क्यों न हो मुखर!

राष्ट्र क्यों न हो मुखर!

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एक देश, एक राष्ट्र,

एक जाति, एक धर्म,

एक ध्येय, एक गान,

फिर क्यों ये बिखराव है?


एक धरा, एक गगन,

एक प्रेम, एक भाव,

एक जीवन, एक मान,

फिर क्यों ऐसा भेदभाव है?


तन में रहता प्राण एक,

रगों में बहता लहू एक,

दिल में बसता प्रेम एक,

फिर भी क्यों न दिखता सद्भाव है?


राष्ट्र हमारा भारत वर्ष,

धर्म हमारा मानव धर्म,

कर्म हमारा रहे सत्कर्म,

फिर क्यों चाहे बदलाव हैं?


देश की शान है तिरंगा,

मोक्षदायिनी तारिणी पावनी गंगा,

अस्ताचल हिमालय अटल शिखर,

तो राष्ट्र क्यों न हो मुखर?

                       

 भावनाओं का उत्कर्ष हो, तो देश ही लक्ष्य हो,

हृदय में व्याप्त हर्ष हो, ओर राष्ट्र हित में दक्ष हो।

एकता का ये प्रमाण दिख रहा प्रत्यक्ष हो,

राष्ट्र की श्रेष्ठता का गान अब सर्वत्र हो।।

                                       

           


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