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AMIT SAGAR

Romance

4.3  

AMIT SAGAR

Romance

प्यार की खातिर

प्यार की खातिर

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65


गुलशने बहार में तो

गुल सभी ले आते हैं

तारो को भी तोड़ने की

बात सभी कह देते हैं

चाँद खुशबू आसमान से

तुलना तेरी करूँ नहीं

सड़क छाप मजनू के लव पर

नाम सभी यह रहते हैं

आँखों में जो बातें हुइ थीं

उनमें अपना बसेरा देखा

आँचल का रंग नहीं

बस हमने तेरा चेहरा देखा

पायल, गजरा , झुमके , कंगन

यह सब हैं बेकार के गहने

ज़जबाते मौहब्बत में बस

रंग प्यार का औढ़के आना

आधी रात के बाद की बातें

गलियों के गुन्डे करते हैं

मेरा दर तो खुला हुआ है

जब चाँहे दुनिया छोड़ के आना

हवाओ की कालीन पर

सवार होकर ना चल

हुस्न का गुरूर तेरा

एक पल में ही टुटेगा

इन राँहो में झटके तेरे

फिजूल ही तकल्लुफ़ है

इक परवाना म

िले तुझे

तो दूजा लौ से छुटेगा

तेरी बाते याद करके

आँखे नम हो जाती हैं

तेरी जुदाई का गम है

गम नहीं गरीबी का 

प्यार के वो दौर फिर से

एक बार नहीं आते क्यों

जाने कितने हैं रफ़ीक

पर गम है तेरी रकीबी का

फिर से बादल बरसे रिमझिम

फिर से हवायें चलेंगी छमछम

लहर चलेगी खुशियों की फिर

नहीं रहेगा जीवन में गम

ताज महल और मुमताज

की तो सभी बात करतें हैं

हम तो वो आशिक हैं जो

हीर को भी याद करते है

प्यार की खातिर शाहज़हा ने

ताजमहल बनबाया

प्यार की खातिर अकबर ने

सलीम को चिनवाया

प्यार की खातिर तारा सिंह

शकि‌ना को बुलाने गया

तो पाकिस्तान ने तारा से

हेन्डपम्प उखड़वाया !


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