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AMIT SAGAR

Romance

4.3  

AMIT SAGAR

Romance

प्यार की खातिर

प्यार की खातिर

2 mins
58


गुलशने बहार में तो

गुल सभी ले आते हैं

तारो को भी तोड़ने की

बात सभी कह देते हैं

चाँद खुशबू आसमान से

तुलना तेरी करूँ नहीं

सड़क छाप मजनू के लव पर

नाम सभी यह रहते हैं

आँखों में जो बातें हुइ थीं

उनमें अपना बसेरा देखा

आँचल का रंग नहीं

बस हमने तेरा चेहरा देखा

पायल, गजरा , झुमके , कंगन

यह सब हैं बेकार के गहने

ज़जबाते मौहब्बत में बस

रंग प्यार का औढ़के आना

आधी रात के बाद की बातें

गलियों के गुन्डे करते हैं

मेरा दर तो खुला हुआ है

जब चाँहे दुनिया छोड़ के आना

हवाओ की कालीन पर

सवार होकर ना चल

हुस्न का गुरूर तेरा

एक पल में ही टुटेगा

इन राँहो में झटके तेरे

फिजूल ही तकल्लुफ़ है

इक परवाना मिले तुझे

तो दूजा लौ से छुटेगा

तेरी बाते याद करके

आँखे नम हो जाती हैं

तेरी जुदाई का गम है

गम नहीं गरीबी का 

प्यार के वो दौर फिर से

एक बार नहीं आते क्यों

जाने कितने हैं रफ़ीक

पर गम है तेरी रकीबी का

फिर से बादल बरसे रिमझिम

फिर से हवायें चलेंगी छमछम

लहर चलेगी खुशियों की फिर

नहीं रहेगा जीवन में गम

ताज महल और मुमताज

की तो सभी बात करतें हैं

हम तो वो आशिक हैं जो

हीर को भी याद करते है

प्यार की खातिर शाहज़हा ने

ताजमहल बनबाया

प्यार की खातिर अकबर ने

सलीम को चिनवाया

प्यार की खातिर तारा सिंह

शकि‌ना को बुलाने गया

तो पाकिस्तान ने तारा से

हेन्डपम्प उखड़वाया !


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