लता जी
लता जी
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स्वर कोकिला के जाने से
सरगम की आँखें भी नम है
उनकी मधुरता को लिखने को
शब्दो की मालाएँ कम है
उनकी लय और स्वर से मानो
हर महफिल में शहद सा घुलता
सुख दुख के गीतो को सुनकर
मन को एक सुकून सा मिलता
छवि थी ऐसी चाँद के जैसी
चाँदनी थी आलोकिक जिसमें
भारत रत्न तो थी ही वो पर
विश्व रत्न था कण्ठ मे उनके।