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AMIT SAGAR

Abstract

4.3  

AMIT SAGAR

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हँसी के रंग

हँसी के रंग

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दुनिया में हँसी के हजारों रूप 

कुछ ऐसे होते हैं दोस्तो

कि झूठी हँसी में सिर्फ हल्की सी

हुँकार निकलती है 

और एक सच्ची हँसी में रस की

फुहार निकलती है 

दिखावटी हँसी में माथे पर 

एक शिकस्त सी पड़ जाती है 

कुदरती हँसी में गालो पर 

एक रौनक सी चढ़ जाती है 

दुख में भी हँसी का  

कभी कभी चेहरा दिख जाता है

और सुख में हँसने का तो

मजा ही कुछ ओर आता है 

अनचाही हँसी का 

एक अन्दाज ही निराला है

और चुटकुलों वाली हँसी तो मानो

जैसे गरम चाय का प्याला है 

बच्चों की चुलबुली हँसी में 

उम्मीद के सितारे नजर आते हैं

और बुजुर्गो की हँसी में 

जन्नत के नजारे नजर आते हैं 

लड़कियों की चहकती हँसी में 

कुछ छुपा छुपा सा रहता है 

लड़को की नटखट हँसी में

मन बुरा बुरा सा रहता है

पत्नी की खट्टी हँसी में 

रात के राज नजर आते हैं 

पति की चटपटी हँसी में 

दिनभर के काज नजर आते हैं 

दोस्तो की मीठी हँसी हे

चैन सुकून सा मिलता है 

दुश्मनो की कड़वी हँसी से 

आप खुद सोच लो.....?



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