Dr. Pradeep Kumar Sharma
Fantasy Inspirational Children
रंग - बिरंगे पतंग
मन में भरते उमंग।
डोरी से बंधे
मन को साधे।
मुक्त - गगन में उड़ते
सबका मन हर्षाते।
जहाँ से चलते
सार्थकता सिद्ध करने
लौट कर अंततः
वहीं पर आते।
आधुनिक गुरु व...
होली का संकल्...
पतंग
चुनिंदा हाइकु
हाइकु शतक
कहना जरूरी है
बम
आई वर्षा
परीक्षा
एकता
ऐ साकी कभी तो वो जाम ए इनायत हमें भी पिलाओ कहां जा रहे हो। ऐ साकी कभी तो वो जाम ए इनायत हमें भी पिलाओ कहां जा रहे हो।
पिया और प्रियतम को रखना होगा विश्वास पिया और प्रियतम को रखना होगा विश्वास
कविमन विरल राजनेता राजनीति गहरे सरोकार साहित्य संवेदक जननायक ! कविमन विरल राजनेता राजनीति गहरे सरोकार साहित्य संवेदक जननायक !
तेरा रहे साथ हर मौसम हर हाल बस यही अब दुआएं मेरी...। तेरा रहे साथ हर मौसम हर हाल बस यही अब दुआएं मेरी...।
नए भारत की तरह बुलंद, आज की नई नारी हैं... नए भारत की तरह बुलंद, आज की नई नारी हैं...
सदा देश की रक्षा करना क्योंकि तुम हो सबसे दुलारे।। सदा देश की रक्षा करना क्योंकि तुम हो सबसे दुलारे।।
वादे जितने थे किये सब एक दिखावा था साथ वो जब भी दिखे वक्त का बुलावा था वादे जितने थे किये सब एक दिखावा था साथ वो जब भी दिखे वक्त का बुलावा था
याद करे उन लम्हों को तो सोते में मुस्कुराते है याद करे उन लम्हों को तो सोते में मुस्कुराते है
ख़त खून से था लिखा, साथ में गुलाब रखा, मन में साहस भर, ख़त पकड़ाए जी। ख़त खून से था लिखा, साथ में गुलाब रखा, मन में साहस भर, ख़त पकड़ाए जी।
हमारा लड़ना फिर तेरा बेचैन होना जरा याद कर ले...आज फिर बैठकर दो बाते कर ले.. हमारा लड़ना फिर तेरा बेचैन होना जरा याद कर ले...आज फिर बैठकर दो बाते कर ले....
हो गया क्षीण यदि बल तेरा केवल तेरा इल्जाम रहा। हो गया क्षीण यदि बल तेरा केवल तेरा इल्जाम रहा।
कह दे चढ़ा दूं शीश को जिनकी न डूबी पवित्रता कह दे चढ़ा दूं शीश को जिनकी न डूबी पवित्रता
जो जिंदगी के यादगार लम्हे है उनकी यादों में खुश रहो जो जिंदगी के यादगार लम्हे है उनकी यादों में खुश रहो
कुछ पल खुद को भी दे लूँ मैं कुछ फुर्सत के पल दे जिंदगी थोड़ा खुद से मिल लूँ मैं.. कुछ पल खुद को भी दे लूँ मैं कुछ फुर्सत के पल दे जिंदगी थोड़ा खुद से मिल ...
खड़ी यहीं पर जीवन त्यागू आंख न त्यागे जागन।। खड़ी यहीं पर जीवन त्यागू आंख न त्यागे जागन।।
यूँ ही नहीं उठ रही है लपटें कहीं तो दिल हुआ है धुआं-धुआं !! यूँ ही नहीं उठ रही है लपटें कहीं तो दिल हुआ है धुआं-धुआं !!
सहनशीलता की सूरत है नारी है सम्मान नारी है महान सहनशीलता की सूरत है नारी है सम्मान नारी है महान
मुख पर मुस्कान और सजनी की बोली मुख पर मुस्कान और सजनी की बोली
क्योंकि तुम आवाज लगा मुझे वापस बुला लोगी।। क्योंकि तुम आवाज लगा मुझे वापस बुला लोगी।।
अब आ भी जाओ हृदयवर, विवशता जान पर आयी है। अब आ भी जाओ हृदयवर, विवशता जान पर आयी है।