यूँ आओ कि
यूँ आओ कि
यूँ आओ कि मेरे सूने नयनों में स्वप्न सज जायें
पतझड़ बगिया में फिर रंगबिरंगे पुष्प खिल जायें
यूँ आओ कि दुनिया रंगीन सी लगने लगे
काले रंग में भी चाँद सी दुनिया चमचमाती दिखने लगे
यूँ आओ कि रास भी रचने लगे
श्याम और राधा जैसा प्रेम रंग अंतर्मन चढ़ने लगे
यूँ आओ कि प्रातः वेला में पक्षियों की गूँज मदमस्त लगे
छोड़ बीते लम्हों की कहानी जीवन में मधुर संगीत बजने लगे
यूँ आओ कि कोई दिल की तड़प भी मिटने लगे
तुम्हारा नाम ले हृदय में लहरों सी हलचल उठने लगे
यूँ आओ कि कोई कशिश बाक़ी न रह जाये
कोई पूछे कि खुश क्यूँ हो तो लबों पर नाम तेरा आये।

