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Kavi Sharad Wakeel

Romance

3  

Kavi Sharad Wakeel

Romance

मेरी पत्नी वंडर वुमेन

मेरी पत्नी वंडर वुमेन

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अनंत विस्तारित सृष्टि में

सृजित नव कली कौमुदी की

प्रकटी मेरे लिये अनंत रूप राशि


समेटे इठलाती बलखाती मधुमय

प्रीत पगा मन लिये हर सांस पर

मेरा नाम लिये ह्रदय में भर

अनंत प्रेम तुम्हें पा मेरा मन भी झूमा


और बूंद बूंद ढलता रहा

मैं भी तुममे मिटी मृगतृष्णा

तुम्हें पा बाहों में बाहें डाले

अनंत नभ को चीर पार करते रहे


नापते रहे धरा का छोर

करा करे एक दूसरे के सुख दुःख

बलिहार काटके प्रातः बेला

कब आ गये जीवन की ढलती

दुपहरिया तक अहो,


अनुपम वह सेंतीस वर्ष रंग

भरे सुनहरे नवसृजन नव

आकार दिया जीवन को 

इंद्रधनुषी तुलिका लिये हाथों ने


अहो प्रिये, मैं तुम्हें पा इतराता

अपने जीवन पर कण कण में

देखता तस्वीर तुम्हारी क्षण क्षण में

याद लिये तुम्हारी तुम्हारी हर पीड़ा,


हर विष मेरा हर आँसू, हर

आह मेरी मेरी हर खुशी हर हँसी तुम्हारी

तुम रहो खुशहाल सदा 

आँखों में सजाये कोमल सपने


हाथों में हाथ थामे यूँ ही

चलते रहें दूर क्षितिज पार

सात फेरों के सात वादे

सात जन्मों तक निभाते रहें यूं ही।


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