नारी नारायणी
नारी नारायणी
नारी तुम नारायणी तुम जगत कल्याणी
भावों का भंडार तुम प्रेम का आधार तुम
नेह नयनों में धरती मधुर मुस्कान वारती
जाने कौन सा रिश्ता ममता रूप फरिश्ता
माँ रूपी छांव तुम समर्पन का भाव तुम
संस्कृती निभाती संस्कार पढ़ाती
जगत जन्म दात्री विश्व पालन हारी
सोलह श्रंगार पूर्ण पतिवरता सम्पूर्ण
तपती धूप मे छाया स्नेह रूपी माया
हर रिश्ते का मान अपने बच्चों की जान
हिमालय सा धीरज धरती की सहनशीलता
आँखो में हँसती मन में हो रोती
महान तुम्हारा अभिनय कठिन तुम्हारा परिचय
नारी तुम नारायणी हो जगत की कल्यानी