पल
पल
कभी देखा है,
उजले
धूप से ख़्वाब को?
कभी चखा है,
शाम क़े
तन्हाई के स्वाद को?
मैंने,
चखी हैं
तुम्हारी यादों
से लिपटी
ख़ट्टे मीठे
पल को,
बिताए हुए
हर लम्हे को
जिसमें सिर्फ़ हम थे।
कभी देखा है,
उजले
धूप से ख़्वाब को?
कभी चखा है,
शाम क़े
तन्हाई के स्वाद को?
मैंने,
चखी हैं
तुम्हारी यादों
से लिपटी
ख़ट्टे मीठे
पल को,
बिताए हुए
हर लम्हे को
जिसमें सिर्फ़ हम थे।