Pari P
Abstract
तेरे इश्क़
को अपनी हथेलियों
पर रचाया है,
अब हर सुबह
हथेलियों को देखकर
तेरे सदके में
दुआयें पढ़ती हूँ।
वक़्त
चाहत ज़िंदगी ...
COVID-19
अधूरे ख़्वाब
इबादत
विरह
पल
तन्हा चांद
अपने स्वाभिमान के खातिर स्वयं का भी बलिदान किया। अपने स्वाभिमान के खातिर स्वयं का भी बलिदान किया।
जब उड़ गए प्राण पखेरू तन मिल जाए जन्मभूमि में। जब उड़ गए प्राण पखेरू तन मिल जाए जन्मभूमि में।
प्रेम ही भावनाओं का स्वरूप है प्रेम से ही चली है ये दुनिया सदा प्रेम अल्लाह ईश्वर का प्रेम ही भावनाओं का स्वरूप है प्रेम से ही चली है ये दुनिया सदा प्रेम अल्ला...
अपनी ही धुन में मग्न से हाँ सच में कितने अजीब है ये रास्ते। अपनी ही धुन में मग्न से हाँ सच में कितने अजीब है ये रास्ते।
किस्मत ने क्या खेल दिखाया रोना आज पड़ा। किस्मत ने क्या खेल दिखाया रोना आज पड़ा।
रहना हमको भी यहीं तुमको भी यहीं, फिर क्यों नफ़रत में दिन जाया करें । रहना हमको भी यहीं तुमको भी यहीं, फिर क्यों नफ़रत में दिन जाया करें ।
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जैसें चाँद का मनमोहक मुखडा़ देखकर चांदनी लजा रही हैं ।। जैसें चाँद का मनमोहक मुखडा़ देखकर चांदनी लजा रही हैं ।।
वह जानती है सपनों के घर नहीं होते। वह जानती है सपनों के घर नहीं होते।
कुछ भी पाने से पहले, पाने की लालसा ज़रूरी है । ज़िन्दगी में हर किसी के, एक डेल्टा होना कुछ भी पाने से पहले, पाने की लालसा ज़रूरी है । ज़िन्दगी में हर किसी के, एक डेल...
दुआ का अब्र माँ जैसा बता दो कौन रखता है। दुआ का अब्र माँ जैसा बता दो कौन रखता है।
चमक धमक साज़ो सजावट की दुनिया हर चीज़ में करती मिलावट ये दुनिया सादगी को मुफलिसी समझती चमक धमक साज़ो सजावट की दुनिया हर चीज़ में करती मिलावट ये दुनिया सादगी को मुफ...
तकलीफ़, अपनी छोड़ औरो की उसे दिखती है परेशानियाँ कभी - कभार चेहरे पर टिकती है.. तकलीफ़, अपनी छोड़ औरो की उसे दिखती है परेशानियाँ कभी - कभार चेहरे पर टिकती...
ये बारिश की बूंदें भी गजब ढाती है गर्मी से ये सबको राहत सुकून देती है। ये बारिश की बूंदें भी गजब ढाती है गर्मी से ये सबको राहत सुकून देती है।
ये पूरा आकाश ही नहीं पूरी धरती भी हमारी तुम्हारे लिये। ये पूरा आकाश ही नहीं पूरी धरती भी हमारी तुम्हारे लिये।
उसने अपनी भावनाओं का और अब जो तुम्हारे पास है, वो तुम्हारी होकर भी तुम्हारी नहीं है। उसने अपनी भावनाओं का और अब जो तुम्हारे पास है, वो तुम्हारी होकर भी तुम्...
कितना कष्ट है सबका जीवन चतुरंग, उतना ही संक्लिष्ट है दैनंदिन रणरंग कितना कष्ट है सबका जीवन चतुरंग, उतना ही संक्लिष्ट है दैनंदिन रणरंग
मनाता नहीं अब मेरा हमसफर है। मनाता नहीं अब मेरा हमसफर है।
छोटे पंछी सी मासूम भी है बहते जल सी निश्छल भी हर ख़ुशी की निगेहबानी करती।। छोटे पंछी सी मासूम भी है बहते जल सी निश्छल भी हर ख़ुशी की निगेहबानी करती...
करता है वह अपने से यही प्रश्न बार -बार। करता है वह अपने से यही प्रश्न बार -बार।