ग़ज़ल।
ग़ज़ल।
हाल ही में मिले थे और मुलाकात गुजर गई
प्यास की तीव्रता बनी रही और बरसात गुजर गई।
तेरी जुदाई में ही कट जाएंगे यह रात -दिन -महीनों साल
पर तकदीर ने साथ न दिया उम्र यूं ही गुजर गई।
अक्ल से बुनता रहा मैं उनकी मदहोश तस्वीर
बनी तो थी लेकिन वो जहन से उतर गई।
है बयान करना बड़ा ही मुश्किल उनकी निगाहों का
जिन पर भी पड़ी उनकी नजर वो हद से गुजर गई।
उसकी उपस्थिति हर जर्रे में है जो सबकी जानता है
पराया पन हट वह मेरे मैं उनका एहसास घर कर गई।
अपने दिल का आईना साफ रख जाने कब उसका अक्श उतर आए
यूं न हो कि वो आएं और तुझ में नावाक़फियत गुजर गई।
कभी तो लोगे तुम "नीरज" की ख़बर इस टूटे हुए दिल की
दिल को इस बहाने बहला रखा है कि तेरी तस्वीर मन में उतर गई।