दिल बहुत कुछ कहता है
दिल बहुत कुछ कहता है
दिल तो.... बहुत कुछ कहता है
लेकिन हकीकत से कितना बेपरवाह रहूं
दिल कहता है तेरी आंखों में डूबा रहूं
लेकिन हकीकत में घर चलाने की,
जिम्मेदारियों से कैसे आंखें परे करूंं।
दिल तो बहुत कुछ होता है
लेकिन हकीकत से कितना बेपरवाह रहूं।
दिल कहता है, तेरा हाथ पकड़े
लंबे सफ़र पर निकल जाऊं
लेकिन हकीकत में घर और बाहर के
काम से कैसे हाथ झाड़ चलूं।
दिल तो बहुत कुछ करता है
मैं सपनों में कैसे बसर करूं
हकीकतों की धरा में ,
एक लम्हा जो दिल को सुकून दे जाए
मैं लम्हा -लम्हा ऐसे ही बसर करूं।

