इंतजार
इंतजार
नदिया किनारे का पीपल बुलाए,
फुर्सत भरे फिर मुझे पल बुलाएं
रहती थी बेसुध मेरे प्यार में जो,
उसकी ही आंखों का काजल बुलाए
मेरा रास्ता अपनी गलियों में देखे,
मेरा जिक्र अपनी सहेलियों से पूछे
ना जाने कब से मेरे इश्क में वो,
आने की खबर वो घड़ियों से पूछे
बीता हुआ मुझको मेरा कल बुलाए,
फुर्सत भरे फिर मुझे पल बुलाए
आता था जिस रास्ते से कभी मैं,
रहती हैं नज़रें उस ओर उसकी
दुपट्टे से अपने मुंह को छुपाए,
करती है याद और भरती है सिसकी
भीगा हुआ उसका आंचल बुलाए,
फुर्सत भरे फिर मुझे पल बुलाएं
कत्थयी आंखों में छाईं है लाली,
चोटी भी बिखरी है लंबी लट वाली
दिन रात मेरे ख्यालों में रहती है खोयी,
डर है प्यार में हो जाए ना बावली
मेरी निगाहों से हुआ जो घायल बुलाए,
फुर्सत भरे फिर मुझे पल बुलाएं।