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Abdul Rahman

Romance

3  

Abdul Rahman

Romance

विश्वास

विश्वास

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उस को गर प्यार मुझसे होता नहीं,

जाते वक्त वो इस क़दर रोता नहीं।

जाना होता चला जाता खुशी से,

यूं दौड़कर वो मुझसे लिपटता नहीं।।१।।


है आज भी उसे मलाल बिछड़ने का,

डबडबाती आँखो से यूं तकता नहीं।

फाड़ कर फेंक देता वो मेरी तस्वीर को,

यूं सीने से लगा कर रखता नहीं।।२।।


मजबूरियां होती नहीं गर उसको,

तो यूं ग़म जुदाई का सहता नहीं।

भूलना ही चाहता वो अगर मुझे,

मेरे तोहफे अब तक संभालता नहीं।।३।।


फ़िक्र भी मेरी उसे खुद से ज्यादा है,

वरना हाल मेरा वो सबसे पूछता नहीं।

चाहत बहुत छिपी है उसके दिल में,

वरना मेरा स्टेटस वो रोज़ देखता नहीं।।४।।


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