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Pratibha Mahi

Abstract Fantasy Inspirational

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Pratibha Mahi

Abstract Fantasy Inspirational

जिसको यार.. बनाले अपना...

जिसको यार.. बनाले अपना...

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उसकी बातें, तुम क्या जानो, उसकी बात निराली है

जिसको यार, बनाले अपना, उसकी रोज़ दिवाली है


समझ न पाया, कोई अब तक, कैसी अज़ब ख़ुदाई है

जीवन की इस रेल में यारा, कैसी जेल बनाई है

सोच रहे सब बैठे बैठे, सबकी नज़र सबाली है

जिसको यार, बनाले अपना...............।【1】


रंग बदल दे चुटकी में वो, पड़ता सब पर भारी है

कटपुतली सा नाच नचाये, पक्का एक मदारी है

जादूगर है बहुत पुराना, मेरी नींद चुराली है

जिसको यार, बनाले अपना...............।【2】


अलग-अलग साँचों में गढ़कर, सुन्दर रूप बनाता वो

पंच तत्व के अनुपम घट में, अपना अंश छुपाता वो

 मैं तो पूर्ण समर्पित उसको, उससे लगन लगाली है

जिसको यार, बनाले अपना...............।【3】


इश्क़ रुहानी और समर्पण, कुछ तो रंग दिखाएगा

अटल भरोसा है अब दिल को, खींच उसे वो लाएगा

'माही' से है प्रीत अनौखी, अपनी राह बनाली है

जिसको यार, बनाले अपना...............।【4


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