STORYMIRROR

Kuhu jyoti Jain

Abstract Romance Fantasy

4  

Kuhu jyoti Jain

Abstract Romance Fantasy

ले चलो मुझे

ले चलो मुझे

1 min
213

चलो आज फिर ले चलना मुझे

वही पर जहां

धरती और आकाश मिलते हुए दिखते है

ले चलना जहां मेरे पैर ज़मीन पे तो होते है

पर धरती फिर भी पैरो में नहीं होती

देखेंगे आसमान को सिंदूरी से स्याह होते हुए

कितने नए रंग आसमान में भर जाएंगे

इस सिंदूरी से स्याह के बीच

दूर कहीं जल रहा होगा

मेरे और तुम्हारे

अनकहे शब्दों का अलाव

और कहीं बज रहा होगा

जीवन का संगीत


देखेंगे मैं और तुम

परिंदों को एक साथ घर लौटते

देखेंगे कुछ जवां

प्रेम कहानियों को जन्म लेते

तुम कुछ कहना नहीं

मैं समझ लुंगी

बस तुम्हारा मखमली स्पर्श उंगलियों की पोरों में लिए

तुम्हारी बातों की मिठास

होंठों में लिए

और तुम्हारे गुनगुनाती आंखों को

कानों से संभाल कर

हम विदा हो जाएंगे शाम से

तुम साथ रहना मेरे उम्र भर



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract