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Kuhu jyoti Jain

Romance

4  

Kuhu jyoti Jain

Romance

प्रेम - एकतरफा

प्रेम - एकतरफा

1 min
338


सदियों से राधा मांगती रही कृष्ण को 

इस जन्म नही तो अगले जन्म ही मेरे हो जाना

कभी कृष्ण ही मांग लेते तो होता कि

अगले जन्म जूलियट रोमियो की हो जाती


अक्सर प्रेयसी ने मान के तुम्हें ईश्वर

तुम्हारा ओहदा कर दिया सर्वस्व से ऊंचा

कभी प्रेमी ही कह देता तुम जरूरी हो मेरे लिए

तो होता कि मीरा भी रह पाती कृष्ण के साथ


चकोरी ही क्यूं ताकती रही चन्द्र की ओर

नदी की क्यूं चलती रही पाने समंदर का छोर

कभी तुम भी जताते मेरे बिना रहा नही जाता है

तो होता कि मै भी जीती प्रेम के गुरुर के साथ।।



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