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Kuhu jyoti Jain

Romance

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Kuhu jyoti Jain

Romance

प्रेम - एकतरफा

प्रेम - एकतरफा

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सदियों से राधा मांगती रही कृष्ण को 

इस जन्म नही तो अगले जन्म ही मेरे हो जाना

कभी कृष्ण ही मांग लेते तो होता कि

अगले जन्म जूलियट रोमियो की हो जाती


अक्सर प्रेयसी ने मान के तुम्हें ईश्वर

तुम्हारा ओहदा कर दिया सर्वस्व से ऊंचा

कभी प्रेमी ही कह देता तुम जरूरी हो मेरे लिए

तो होता कि मीरा भी रह पाती कृष्ण के साथ


चकोरी ही क्यूं ताकती रही चन्द्र की ओर

नदी की क्यूं चलती रही पाने समंदर का छोर

कभी तुम भी जताते मेरे बिना रहा नही जाता है

तो होता कि मै भी जीती प्रेम के गुरुर के साथ।।



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