STORYMIRROR

Kuhu jyoti Jain

Abstract Romance

4  

Kuhu jyoti Jain

Abstract Romance

बातें

बातें

1 min
418


बस नहीं हो पाई बातें 

तुम्हारे ख्वाबों की

तुम्हारे अहसासों की

मेरी चाहतों की 

मेरे अरमानों की


बता नही पाए तुम कि

पूरे दिन सोचा किये कि

की क्या कहना है जब मुझसे बातें होंगी 

ये भी नहीं कह पाए कि

दिन भर में कितनी बार 

मुझे महसूस किया था

जब जब भी बजी कोई खूबसूरत धुन

तुम्हारे ज़ेहन में मैं ही मै थी


मैं भी कहाँ कह पायी तुमसे

कि एक सपना मैंने जिया आज

जो तुम्हारे साथ था जिसमे 

कुछ फूल खिले थे, कुछ रंग बिखरे थे

तुम और मै कुछ दूर ही सही

 पर साथ चले थे


पर देखो ना तुम भी ये समझे होंगे

जो मैने नही कहा और 

मैं भी समझ पायी वो जो तुमने कहा नही

चलो फिर कभी किसी शाम

हम पूरी कर लेंगे ये बातें जो

कही भी नहीं और अनकही भी न रही।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract