बातें
बातें
बस नहीं हो पाई बातें
तुम्हारे ख्वाबों की
तुम्हारे अहसासों की
मेरी चाहतों की
मेरे अरमानों की
बता नही पाए तुम कि
पूरे दिन सोचा किये कि
की क्या कहना है जब मुझसे बातें होंगी
ये भी नहीं कह पाए कि
दिन भर में कितनी बार
मुझे महसूस किया था
जब जब भी बजी कोई खूबसूरत धुन
तुम्हारे ज़ेहन में मैं ही मै थी
मैं भी कहाँ कह पायी तुमसे
कि एक सपना मैंने जिया आज
जो तुम्हारे साथ था जिसमे
कुछ फूल खिले थे, कुछ रंग बिखरे थे
तुम और मै कुछ दूर ही सही
पर साथ चले थे
पर देखो ना तुम भी ये समझे होंगे
जो मैने नही कहा और
मैं भी समझ पायी वो जो तुमने कहा नही
चलो फिर कभी किसी शाम
हम पूरी कर लेंगे ये बातें जो
कही भी नहीं और अनकही भी न रही।