जब मन भावुक होता है या बागी तो लिखती हूँ, जब खुश होती हूँ तो लिख देती हूं, शब्द मेरी सांस है।
क्या मैं ला सकती थी वो बांसुरी, जो कान्हा के अधरों पर लगी ही नही। क्या मैं ला सकती थी वो बांसुरी, जो कान्हा के अधरों पर लगी ही नही।
इस खूबसूरत शाम और नदी के किनारे को ज़ाया न होने देना इस खूबसूरत शाम और नदी के किनारे को ज़ाया न होने देना
मन को बहने देना अपने पानी की तरह मन को बहने देना अपने पानी की तरह
पर समर्पण है स्त्री और तुलसी का श्रृंगार मुझे इससे करना है इनकार पर समर्पण है स्त्री और तुलसी का श्रृंगार मुझे इससे करना है इनकार
सुकून था कि तुम पास थे पर यंहा से जो देखती हूँ तुम बेकस से लगते हो बेकरार दिखते हो। सुकून था कि तुम पास थे पर यंहा से जो देखती हूँ तुम बेकस से लगते हो बेकरा...
अब चलो थोड़ा ज़िद्दी हो जाते हैं खुद से थोड़ा प्यार जताते हैं। अब चलो थोड़ा ज़िद्दी हो जाते हैं खुद से थोड़ा प्यार जताते हैं।
इस जन्म नही तो अगले जन्म ही मेरे हो जाना। इस जन्म नही तो अगले जन्म ही मेरे हो जाना।
मैंने कुछ नीले फूल नाली में बहा दिए अपने पे से कुछ इल्ज़ाम रिहा किये। मैंने कुछ नीले फूल नाली में बहा दिए अपने पे से कुछ इल्ज़ाम रिहा किये।
मेरा तुम्हारा संबंध बंधन नही संयोग है जो ईश्वर ने स्वयं रचा है। मेरा तुम्हारा संबंध बंधन नही संयोग है जो ईश्वर ने स्वयं रचा है।
हम पूरी कर लेंगे ये बातें जो कही भी नहीं और अनकही भी न रही। हम पूरी कर लेंगे ये बातें जो कही भी नहीं और अनकही भी न रही।