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Minal Aggarwal

Fantasy

4  

Minal Aggarwal

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मेरा मन

मेरा मन

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प्रेम का एक असीम भंडार 

लेकिन गतिमान नहीं 

एकदम से स्थिर 

मोम था कभी 

अब पत्थर का बन 

चुका है 

इंसान के दिल सा

धड़कता था कभी 

अब ईश्वर बन चुका है

ईश्वर जैसा कोई बन जाये और

सत्य के चरम बिंदु को पा ले

तो इस संसार में जी नहीं सकता

आसमान की ऊंचाई सा ऊंचा 

उठ जाये तो

धरती पर विचर नहीं सकता

धर्म की साधना में लीन

हो जाये कोई तो

अधर्म पर विजय पा नहीं सकता

खुद के विस्तार को पा ले

कोई तो

इस दुर्लभ जीवन की राह के

पगों को नाप नहीं सकता।



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