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Dr.Purnima Rai

Romance Tragedy Fantasy

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Dr.Purnima Rai

Romance Tragedy Fantasy

तेरे बगैर जिंदगी मेरी उदास है

तेरे बगैर जिंदगी मेरी उदास है

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तेरे बगैर जिंदगी मेरी उदास है

इतने बड़े जहान में तू ही तो खास है।


सहमा हुआ सा आजकल है हर बशर यहाँ

तू जो नहीं है पास तो लगता है डर यहाँ

कोई नहीं है फिर भी मन में एक आस है।


सिमटी हुई है याद भी तेरे ख्याल में

आ जाओगे चुपके से तुम मेरे ख्याल में

निकलेगा चांद ' पूर्णिमा' को विश्वास है।


तर्ज: मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया।


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