प्रतिस्पर्धा
प्रतिस्पर्धा
मानव -मानव में,
हौड़ यहाँ !
प्रतिस्पर्धा का है,
दौड़ यहाँ !
कोई टकराता,
भाई भाई से !
लड़ता भी है,
हाथापाई से !
है दोष नहीं,
पर लोभ यहाँ !
प्रतिस्पर्धा का है
दौड़ यहाँ !
कभी धर्म लिए,
कभी संघ लिए !
लड़ता कटता है
आन लिए !
क्या यही सिखाता,
धर्म यहाँ ?
प्रतिस्पर्धा का है
दौड़ यहाँ !
लोगों में प्रेमों,
का हुआ ह्रास !
जन जीवन कम्पित,
हुआ त्रास !
क्या करें आज
अब जाएँ कहाँ ?
प्रतिस्पर्धा का है
दौड़ यहाँ !
भू पर युद्धों,
का जाल बिछा !
अम्बर में भी,
त्रिशक्ति भिड़ा !
भय -भय से है,
कम्पित,
सारा जहाँ !
प्रतिस्पर्धा का है
दौड़ यहाँ !
यह दौर नहीं
गृह -युद्धों का,
मानव युग के,
विध्वंशों का !
नहीं आत्म -प्रेम
नस -नस में यहाँ !
प्रतिस्पर्धा का है
दौड़ यहाँ !
मानव-मानव में,
हौड़ यहाँ !
प्रतिस्पर्धा का है,
दौड़ यहाँ।
