नागरिकता पढूँगा आधार पढूँगा ऐसा है संविधान मेरा हर बार पढूँगा नागरिकता पढूँगा आधार पढूँगा ऐसा है संविधान मेरा हर बार पढूँगा
मानव-मानव में, हौड़ यहाँ ! प्रतिस्पर्धा का है, दौड़ यहाँ। मानव-मानव में, हौड़ यहाँ ! प्रतिस्पर्धा का है, दौड़ यहाँ।
कुछ दिन आंगन में खेल के पराई हो जाती है बेटियां कुछ दिन आंगन में खेल के पराई हो जाती है बेटियां
जब राम थे तब भी ऊंगली उठाई गई जनक दुलारी पर.. और अब जबकि....! जब राम थे तब भी ऊंगली उठाई गई जनक दुलारी पर.. और अब जबकि....!
मेरे माता -पिता के मन में, सखी जाने क्या थी बात समाई। मेरे माता -पिता के मन में, सखी जाने क्या थी बात समाई।