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Ravi Rana RK

Abstract

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Ravi Rana RK

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बेटियां

बेटियां

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मांगे जाते है बेटे,

मिल जाती है बेटियां

भाई के पुराने खिलौने से भी खेल के

खुश हो जाती है बेटियां।


पापा से लिपटे देख भाई को

ख्वाबों में खो जाती है बेटियां,

मांगे जाते है बेटे

मिल जाती है बेटियां।


रोती नहीं है वो दर्द सह करके भी

जब भाई के द्वारा

खींची जाती है चोटियां,


चुपचाप मां संघ बनाने

लग जाती है रोटियां,

क्यों मांगे जाते है बेटे

और मिल जाती है बेटियां।


सखी सहेलियां दूर रह गई

कुछ दिन आंगन में खेल के

पराई हो जाती है बेटियां


मांगे जाते है बेटे

मिल जाती है बेटियां,

मिल जाती है बेटियां।


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