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Ravi Rana RK

Others

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Ravi Rana RK

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पुरानी याद

पुरानी याद

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रहकर साथ उजालों के मुझको

अंधेरा मिटाना ही नहीं आया ,

मन जीत सका नहीं मैं किसी का

मैंने खुद को खुद की ममता से बहलाया।


लाखों की भीड़ में मैंने खुद को अकेला पाया

खो कर अपने आप को,

मैं तेरा शहर छोड़ आया

तेरा शहर छोड़ आया।



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