पुरानी याद
पुरानी याद
1 min
289
रहकर साथ उजालों के मुझको
अंधेरा मिटाना ही नहीं आया ,
मन जीत सका नहीं मैं किसी का
मैंने खुद को खुद की ममता से बहलाया।
लाखों की भीड़ में मैंने खुद को अकेला पाया
खो कर अपने आप को,
मैं तेरा शहर छोड़ आया
तेरा शहर छोड़ आया।