shivendra mishra 'आकाश'

Romance Inspirational

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shivendra mishra 'आकाश'

Romance Inspirational

प्रीत की डोर कैसी है

प्रीत की डोर कैसी है

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प्रीत की डोर कैसी है तुमसे हमें 

चाँद से रोशनी जैसे जा न सकें,

पलकें रात जगी भीगी भीगी,

सांसो में आस जमी धीमी धीमी,


दूर तुमसे हम न जा सकें,

मन की डोर तुमसे ऐसी बंधी,

वक्त का चक्र कैसा मिटा न सके,

यादों के पहलू को यूं भुला न सकें।।


हौसला तू है मेरा करम या खुदा

सोच में हस्ती तेरी मिटा न सका

रीत की बात कहते कुछ लोग यहाँ,

शराबों में जैसे ग़म छुपा न सकें,


मौत की आबरू में सुला के हमें,

फिर भी तुम दूर हमसे जा न सकें,

याद को हम तेरी मिटा न सकें,

प्रीत की डोर कैसी है तुमसे हमें 

चाँद से रोशनी जैसे जा न सकें।।



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