पंजाब की धरती
पंजाब की धरती
पंजाब की धरती
अपने पुत्रों को रोज़- रोज़
मौत के मुँह में जाते
देख रही है चुपचाप..।
आँखों में अश्रु लिए
बूढ़े माँ - बाप सोचते हैं कि
काश! वे अपने बच्चों को
बचपन से ही
गुरबाणी के मार्ग पर चला पाते..।
नशे की डगर पर मुड़ते
अपने बच्चों को
मौत के मुँह से बचा पाते..।
काश! उनके बच्चे
सस्ती राजनीति के फंदे से
खुद को बचा पाते..।
काश! वोटों की ख़ातिर
इस देश के कर्णधार
जवानों को यूँ न बहका पाते..।
वे जिन्हें अन्याय के खिलाफ लड़ना था
गुरू गोबिंद सिंह के मार्ग पर चलना था
वे लड़ रहे हैं आज अपनी ही जान से
माता पिता की आंखों में
दे जाते हैं अश्रु दुनिया जहान के..।
काश! वो गुरुओं की सीख
पंजाब की धरती पर फिर से लौटे
और किसी सिंहासन की होड़ में
किसी की जिंदगी अधबीच में न छूटे..।