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Dr Javaid Tahir

Tragedy

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Dr Javaid Tahir

Tragedy

वो हमसफ़र

वो हमसफ़र

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छिपा के मुझसे, वह क्या न पी गया होगा

जला के खुद को, वक़्त पी गया होगा


क़रार आने को तो, आ ही गया होगा

न जाने कितनी, बेक़रारी पी गया होगा


मेरे तसव्वुर में तो है अब तक वही चेहरा

वो अब तलक, पहचान पी गया होगा


वो दर्द के साहिल पे मुऩतज़िर था मेरा

मेरे इंतज़ार में, अश्क पी गया होगा


वो दे तो सकता था जवाब बेरुख़ी का तेरी

वो बच्चों के लिये वक़ार पी गया होगा


हर एक अश्क का हिसाब लूँ गर चेहरे से

वो मुसकुरा कर समुन्दर पी गया होगा


मजबूर घर में ऐसा तो नहीं कि कोई न था

वो डर से दस्तक पी गया होगा


सज़ा मिलने का सबब पूछा तो इतना कहा

ज़हन की तंगी मे इंसाफ़ पी गया होगा


हर एक ज़र्रे मे ख़ुदा को देखने वाला

लगी जो आग ईमान पी गया होगा


मुकम्मल न कर सका, ख़त शिकायतों का

वो

क़लम जहाँ की रोशनायी पी गया होगा।।


जावेद अब कहीं मत ढूंढने जाओ उसे

वह जाम ऐ निजात पी गया होगा ।।


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