फुहार
फुहार
होली पर प्रियतम बरसाए रंग की फुहार।
प्रियतमा अपने हाथ जोड़कर करे मनुहार।
बार बार विनती करती रहे प्रिय छेड़ो नहीं।
प्रियतम जीते जहाँ प्रियतमा हार गई वहीं।
रंग की फुहार से उसका अंतर्मन भीग गया।
पुराना होते हुए भी सब लगने लगा है नया।
रंग बिरंगी फुहार से खिल उठा उसका तन।
जैसे ओस की बूँदों से खिल जाता उपवन।

