पैसे से अनमोल क्या...।
पैसे से अनमोल क्या...।
कमाते कमाते वो पिता,
झुक गया,
पर हिस्से में उसके क्या आया,
कि आपने आज तक क्या किया?
मां ने सींचा अपने खून से बच्चों को,
पाला पोसा बड़ा किया पढ़ाया लिखाया,
और क्या हिस्से में आया मां के,
बेटा वृद्धाश्रम छोड़ आया,
जिस पिता का जीवन बीत गया,
बेटों की ख्वाहिशों को पूरा करते करते,
वो बेटा पिता से हिस्सा मांग रहा,
और बहू मां से घर की चाबियां,
सचमुच कितना करते हैं मां पिता,
और क्या करते हैं ये बच्चे,
अपनी जिंदगी बुढ़ापा सब गंवा दिया,
और बेटों ने उन्हें दिल से निकाल दिया,
क्यों पैसा इतना अनमोल हुआ,
कि भगवान को उन्होंने ठुकरा दिया,
जिनमें बसा चारों धाम का पुण्य,
उनको बच्चों ने घर से निकाल दिया,
फिर क्यों जाते हो मंदिर दरगाह,
जब घर से ही भगवान को निकाल दिया,
अभी देखी नहीं काल की गति उन्होंने,
जो बोया है वो काटना भी होगा,
पैसा शान शोहरत रूतबा देता है,
मातापिता अपना जीवन कर देते न्यौछावर,
रिश्ते हर ग़म के होते हैं साथी,
जिन्हें पैसों के मोह में कर देते पराया,
अरे वो अपने ही तो पैसों से अनमोल होते हैं।