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Sudershan kumar sharma

Tragedy

4  

Sudershan kumar sharma

Tragedy

ख्वाब

ख्वाब

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कुछ ख्वाब जिंदगी में अधूरे रह जाते हैं, 

फिर घाव बनकर हमेशा चुभते रहते हैं। 


कोई कर ले जत्न चाहे जितना भी,

हालात सदा ही ऐसे बने रहते हैं। 


तकदीर में नहीं जो कभी नहीं मिल सकता,

जो मिला नहीं फिर उसी में क्यों चिपटे रहते हैं। 


गम और खुशी को मत समझो अलग हैं दोंनों

लोग दोनों को झेलते झेलते चले जाते हैं। 


जो मुकद्दर में होगा मिल कर रहेगा,

फिर क्यों लोग  फिक्र में दबे रहते हैं। 


जो पास है उसी में ढूंढ ले खुशी के पल,

देख पराई चीज को क्यों लोग जलते  रहते हैं। 


मत ले गहराइयों में हर बात को सुदर्शन, भले बुरे

दिन अक्सर हरेक के चलते रहते हैं। 


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