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Vimla Jain

Tragedy

4.7  

Vimla Jain

Tragedy

असमय में अस्त होता सूरज

असमय में अस्त होता सूरज

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231



उस दिन भी ऐसी ही बरसात थी

जो आपके जीवन की आखिरी बात थी।

आज यादों में वो बरसात आ गई

क्योंकि आज आप की पुण्यतिथि जो आ गई

सोचा ना था इतनी जल्दी आपका सूरज अस्त हो जाएगा और आप हम को छोड़कर चले जाएंगी।

है याद आपकी जब जब आती

मन यादों में खो जाता है।

आपके साथ बिताए हुए प्यारे लम्हे हर पल आपके होने का एहसास दिलाते हैं।

जो ममतामई हाथ आपका हमेशा हमारे सिर पर रहा वह मां का एहसास दिलाता था।

जिस प्यार से आपने हमको थामा कभी दोस्त, भाभी कभी बहन और कभी मां बन उस पल का एहसास दिलाता है।

सोचा ना था इतनी जल्दी आप चले जाओगे

जिस तरह हमको यहां आपकी जरूरत थी उसी तरह शायद ईश्वर को भी आपकी जरूरत हो।

हम आपको जिंदगी भर कभी भुला ना पाएंगे आप हमारी यादों में जो बसते हो हमेशा हमको याद आओगे।

है नमन हाथ जोड़ शीश झुका आपको।

और है प्रार्थना ईश्वर से कि आपको उस लोक में शांति और सुकून, मोक्ष मिले।

करती है नमन विमला सपरिवार आपको

और आपके मोक्ष की करती है कामना

क्योंकि आप इतनी सरल ह्रदय कितनी प्यारी लोगों का ध्यान,

निस्वार्थ सेवा करने वाली धार्मिक सन्नारी थी।

 मोक्ष से तो क्या कम की अधिकारी थी।


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