STORYMIRROR

Ganesh Chandra kestwal

Tragedy Inspirational Others

4  

Ganesh Chandra kestwal

Tragedy Inspirational Others

बाढ़

बाढ़

1 min
225


बादल का धैर्य टूटा, गगन से जल फूटा, 

सब ओर जल दिखे, मानो प्रलय है।

आँगन व खेत टूटे, किसानों के भाग्य फूटे, 

अन्न आशा पूर्ण टूटी, कहाँ विजय है?

सड़क व हाट डूबे, बूंदे बज्र सम चुभे,

सब जन हैं बेहाल, काल निश्चय है।

कार्य गति सब रुकी, विकास की चाल थकी, 

जनधन सब डूबा, नाश तो तय है॥१॥


त्राहि-त्राहि सब ओर, जल घिरा चहुँ ओर, 

भूमिचर डूब रहे, उनको बचाएं।

जलबिंदु भूमि गिरे, सतत बहती जाए,

बूँदें उपयोगी बनें, वृक्षों को उगाएं।

धरा अब टूटती है, हर आशा तोड़ती है,

उम्मीदें ना कभी टूटे, हरियाली लाएं।

गली गली हर पथ, बन गया जलपथ, 

जल चले भद्रपथ, नाले न दबाएं॥२॥



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy