बारिश
बारिश
गम से भरा अंदाज क्या सिर्फ फन है तिरा
सच मे कहू कुछ राज इसमे दफन है तिरा
अब क्यो रुठे हो यार तुम तो बहुत रो लिये
कल हो गयी बरसात अब ये चमन है तिरा
इन बादलों के साथ सहना बहुत है तुझे
इस पार ये बारीश उस पार मन है तिरा
मुझको धिमी रफ्तार से ना टहलता बने
सड़के यहा आबाद कहता वतन है तिरा
तुमने मुझे मझधार में जो अलविदा किया !
समझे कहां जाहील मुझ में जहन है तिरा।

