बारिश
बारिश
1 min
422
गम से भरा अंदाज क्या सिर्फ फन है तिरा
सच मे कहू कुछ राज इसमे दफन है तिरा
अब क्यो रुठे हो यार तुम तो बहुत रो लिये
कल हो गयी बरसात अब ये चमन है तिरा
इन बादलों के साथ सहना बहुत है तुझे
इस पार ये बारीश उस पार मन है तिरा
मुझको धिमी रफ्तार से ना टहलता बने
सड़के यहा आबाद कहता वतन है तिरा
तुमने मुझे मझधार में जो अलविदा किया !
समझे कहां जाहील मुझ में जहन है तिरा।