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Kamlesh Ahuja

Tragedy

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Kamlesh Ahuja

Tragedy

बुजुर्गों की व्यथा

बुजुर्गों की व्यथा

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बुजुर्गों के व्यथित मन को समझो,

उनकी पीड़ा व तड़पन को समझो।


इस उम्र में कहां जाएं,किधर जाएं,

जरा तुम उनकी उलझन को समझो।


दिल धड़कता है उनका तुम्हारे लिए,

कभी तो उनकी धड़कन को समझो।


खुद जलकर रोशन किया तुम्हारा जहां,

उनके त्याग उनकी तपन को समझो।


यूं इतनी बेरुखी से मुख मोड़ो न उनसे,

चाहते हैं तुम्हें उनकी लगन को समझो।


बिन तुम्हारे कैसे जी पाएंगे बूढ़े माँ बाप,

चेहरे के उनकी तुम शिकन को समझो।


जैसा जिसने बोया वैसा ही काटा यहां,

बच्चों विधि के इस चलन को समझो।


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