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Kamlesh Ahuja

Tragedy

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Kamlesh Ahuja

Tragedy

माता-पिता

माता-पिता

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बच्चों पे अपने सब कुछ निसार के,

ममता,फर्ज के सब कर्ज उतार के।


रुख़सत हो गए माँ बाप दुनिया से,

जिंदगी का सफर अपना गुजार के।


जीते जी उनको पूछा नहीं बच्चों ने,

बाद उनके रोते हैं मूरत निहार के।


देता नहीं दुख में दिलासा जब कोई,

तब झूठे लगते हैं सब सुख संसार के।


तन्हाई में सताती हैं यादें बचपन की,

भूल नहीं पाते कभी दिन वो बहार के।


जीते जी कर लो माता-पिता से प्यार,

बीत ना जाएं पल कहीं ये मनुहार के। 


लौट के आते नहीं जाने वाले कभी,

बुलाओ कितना भी उन्हें चीख पुकार के।



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