वो मोहब्बत वाले दिन
वो मोहब्बत वाले दिन
वो मोहब्बत वाले दिन जब भी याद आते हैं,
दिल के सोए हुए जज्बातों को छेड़ जाते हैं।
तड़प उठता है दिल फिर उनसे मिलने को,
बड़ी मुश्किल से जिन्हें हम भुला पाते हैं।
वक्त गुजारा था जो कभी हमने संग उनके,
उन हसीन लम्हों को यादकर आँसूं बहाते हैं।
दिल की बेचैनियों को दो घड़ी करार आ जाए,
दर्द-ए-जुदाई का ऐसा कोई गीत गुनगुनाते हैं।
भूलता नहीं उनका वो मासूम मुस्कुराता चेहरा,
ख्वाबों में आ-आकर इस कदर वो तड़पाते हैं।
काश! बस में होता तो रोक लेते उन्हें जाने से,
दिले बेकरार को अब तो ये कहकर बहलाते हैं।
मिले जो पल उन्हें जी भरके के जीलो'कमल'
वक्त,नसीब फिर कहाँ ये घड़ियाँ हमें लौटाते हैं।