सफर तनहा मेरा
सफर तनहा मेरा
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सफर तनहा है मेरा, जाने तुम कहां हो
अकेली हूँ राहों, जाने भटके तुम कहां हो ।।
राह है अंजानी, मंजिल बड़ी दूर है।
तेरे बिन ये सफर बड़ी ही मुश्किल है ।।
सफर तनहा हैं जिन्दगी का, सब यहां अंजाने है।
राह की हर मुश्किल में बस तुझे ही अपनाना है।।
दर्द देती है ये राह के कांटे, जाने तू इससे अंजान क्यों है
सफर तनहा हैं मेरा, ना जाने मेरे हर हालात से अंजाने क्यों हो ।।