श्रृंगार मेरी बस तुझे ही बोले
श्रृंगार मेरी बस तुझे ही बोले
चुड़ी खनक खनक कर कहती हैं, तु सजना है मेरे दिल का।
बिंदिया तो बलखाती मांग में, कहती तु आंगन है जीवन का।।
बाल के कजरा, कान के झुमके डोलती रहती फिजा में कहती
आएगा वो दिन जब हर घड़ी होगी तुम दोनों के मिलन का।।
काजल देखो आंखों में यूं शर्माती है, कहती अब हर सपना है सजन का।
मेंहदी की चमकदार रंगत कहती, ये इवादत है तेरे प्यार में सब्र का।।
चेहरे की लाली, होंठों की मुस्कान कहती हैं ये सफर तेरे इश्क का।
पैरों की दमकती मुहावर, कहती हैं ये कदम तेरे दिल से मेरे दिल की मिलन का।।
मेरे श्रृंगार की हर अंग बोले हर बोल तेरे मेरे मिलन का
ख्वाब सजाए ऐसा, की हो हमारा साथ जन्मों जन्म का।।

