जुनून मंजिल की
जुनून मंजिल की
चल उठ बांध तू हौसले को , लंम्बी सी एक छलांग लगा ।
जुनून है अगर मंजिल की तो , मेहनत कर बस बेपरवाह ।।
हिस्से में तेरे भी होंगे , नाम अलग सा , पहचान अलग सी ।
पहले तु इस गुमनामी का , पहरा तु अपने जुनून से हटा ।।
माना कि है मुश्किल तेरी मंजिल, मगर तु भी अपने दिल हौसले की लौह जला । अंधेरे भरे मन में , जुनून का प्रकाश फैला ।।
कर मेहनत तु शान्त हो कर , अभी तो लोग हसेगा ही ।
मंजिल तो जरा मिल जाने दे , ये सब एक दिन जरूर झुकेगा ।।
बांध हौसले की पंख तु हर मंजिल को छू जाएगा ।
जुनून है अगर तेरे अंदर तो , मंजिल भी तेरे लिए हाथ बढ़ाएगा ।
