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Shakshi Kumari

Romance Tragedy Classics

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Shakshi Kumari

Romance Tragedy Classics

तेरी नज़र

तेरी नज़र

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तेरी नज़रों ने यूं देखा मैं दम सी गई,

रूक सी गई मेरी धड़कने मैं शरमा सी गई।


हर पल कुछ कहता है तेरी आंखों,

वादें हजार करके    

दिल को गुदगुदाती है तेरी नज़र,

इशारे बार बार करके।


ना जाने मैं कब खो गई तेरी गहरी भूरी आंखों में        

मुझे बेशूध कर ग‌ई तेरी नजरें,

लाखों के भीर में पलकें झुका करके।


झील सी गहरी आंखों है तेरी,

जुबां से ज्यादा तो यही बात करती है                                

अनकही लफ़्ज़ों में ये बातें हजार करती है।

खिल जाता है चेहरा गुलाब सा,

जब ये तेरी नजरों मुझसे शरारतें बार बार करती है।        


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