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Shakshi Kumari

Tragedy Inspirational

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Shakshi Kumari

Tragedy Inspirational

चल घर

चल घर

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उठ तू खुश हो जा,

छुट्टी का वो दिन आया है         

कंधे पर तु लेकर बस्ता,

दौड़ जा तु घर के रस्ता       

क्योंकि माँ ने तुझे बुलाया है।।

बस एक दिन का ही तो वक्त है तेरा,

फिर हर रात का तो यही सबेरा                               

चल घर इस दिन बनाना है मेरा,

फिर हर शाम का तो यही है डेरा 

चल घर कुछ लम्हे माँ के साथ भी बितानी है,

उनकी छोटी सी दुनिया को

महीने भर के लिए चहचहाना है        

पापा भाई दादी दीदी

सब के साथ गुनगुनाना है। 


चल घर कुछ खुशियां के लम्हें

अपनी यादों में समेट कर लाना है

फिर महीने भर उसी में मुस्कुराना है।।


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