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AMAN SINHA

Romance Tragedy Inspirational

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AMAN SINHA

Romance Tragedy Inspirational

तुझ पे है सिर्फ मेरा हक़

तुझ पे है सिर्फ मेरा हक़

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सुनो ज़रा कुछ कहना है, जो मेरे दिल में एक कोना है 

जाओ सामान उठाकर ले आओ, अब तुमको यहीं पर रहना है 

ना समझो तुम प्रस्ताव इसे, ना मानो बुरा बर्ताव इसे 

मैं ना जानु भाषा की बारीकी जो कहना है बस कहना है 


जितने दिन मैं ना सोया था, जितना छुप-छुप के रोया था 

है कसम तुझे उन अशकों की, तू जिएगी घुटकर रोएगी 

तू जहाँ कहे मैं चल दूंगा, पर संग चलने पर बल दूंगा 

तू छोड़ के मुझको जाएगी, मैं सपने तेरे मसल दूंगा


तुझको घेरे जो घेरा है वो चक्रव्युह भी मेरा है 

तू आए पर ना जाए वो निर्णय भी मेरा है 

है तुझपर बस अधिकार मेरा, और मुझको है स्वीकार्य तेरा 

तो फिर कैसे मैं जाने दूँ, तुझे मेरी होकर रहना है 


तू माने तो ये प्रेम सही, ना माने तो परवाह नहीं 

मैं झुककर तुझसे विनय करूँ, मैं इतना भी लाचार नहीं 

तू जिस भी राह पर जाएगी, है प्रण मुझे हीं पाएगी 

चाहे तो नश्वर हो जाए, पर मुझसे छुट ना पाएगी 


तू ज़िंदा है तो मेरी है, मर जाएगी मर ना पाएगी 

स्वर्ग के आगे दरवाजे पर तू खड़ा मुझिको पाएगी 

 मैं हूँ तो तेरी हस्ती है मुझमे हीं तू बस्ती है 

ना मोल तेरा है बिना मेरे “सिर्फ तू” बड़ी ह सस्ती है।


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